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Shardiya Navratri ki ashtami kab hai | shardiya navratri puja vidhi | अष्टमी पूजा विधि | Navratri 2021: जानिए, नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि और पूजन का शुभ मुहूर्त

2021-10-12 2 Dailymotion

#navratrikiastmikabhai #navratri #नवरात्री<br />#shardiyanavratrikiashtamikabhai #Navratri2021 #PujaMuhurtAshtamiPuja #DurgaPuja #PujaMuhurtofNavami #navratrikiastmikabhai <br />#नवरात्री #navratri #navratriastmi #astmikabhai<br />#navratrikeupay #margdarshan #sadhanapandey #navratri2021 #navratrispecial #navratrikiastmi #navratri _ki_astmi_2021<br /><br />Navratri 2021: हिंदी पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि के व्रत और पूजन का विधान है। मान्यता है कि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक नवरात्रि का आयोजन होता है। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों का पूजन किया जाता है। नवरात्रि के पूजन में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन महागौरी और सिद्धिदात्री मां का पूजन किया जाता है। इस साल नवरात्रि 07 अक्टूबर से प्रारंभ हो कर 14 अक्टूबर तक केवल आठ दिन की ही मनाई जा रही है। आइए जानते हैं इस साल नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि और पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है....<br /><br />अष्टमी की तिथि और पूजन मुहूर्त<br /><br />अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि का पूजन होता है। पंचांग के अनुसार इस साल अष्टमी तिथि 12 अक्टूबर को रात्रि 09.47 बजे से शुरू होकर 13 अक्टूबर को शाम 08.08 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुरूप अष्टमी तिथि का पूजन 13 अक्टूबर, दिन बुधवार को किया जाएगा। अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। पूजन का शुभ मुहूर्त अमृत काल प्रातः 03:23 से 04:56 बजे तक है और ब्रह्म मुहूर्त प्रातः काल 04:48 AM से 05:36 AM तक है।<br /><br />नवमी की तिथि और पूजन का मुहूर्त<br /><br />शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि 13 अक्टूबर को रात 08 बजकर 09 मिनट और से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। अत: नवमी तिथि का पूजन 14 अक्टूबर 2021, दिन गुरुवार को किया जाएगा। इस दिन मां सिद्धिदात्री के पूजन का विधान है। इसके साथ ही नवमी के दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। नवमी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11.43 बजे से 12. 30 मिनट तक अभिजित मुहूर्त में रहेगा। इसके अतिरिक्त अमृत काल और ब्रह्म मुहूर्त में भी पूजन करना शुभ है।

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